श्रीजी बाबा दीन दयाला भक्त तुम्हारा जानना
प्रभु गुण गाता दोष पडे तो भूल हमारी मानना॥
मैं अज्ञानी कुछ नही जानूं, शरण चरण की दे देना,
विमल भाव से ध्यान धरू मैं कुटिल भाव को हर लेना॥
भव बंधन को काट सकूं मैं, भाव भक्ति में डूब सकूं,
प्रेम पंथ में चल सकूं मैं, जीवन सफल बना सकूं॥
दास ऊपर दया जताकर , टेक जरा सी लगा देना,
अन्त समय में नाथ दयाकर, नैंनो की प्यास बुझा देना॥
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