You are currently browsing the category archive for the ‘गिरिधर जी’ category.
आनंद आज भयो हो भयो जगती पर जय जय कार।
श्री लछमन गृह प्रगट भये हैं श्री वल्लभ सुकुमार॥१॥
धन्य धन्य माधव मास एकादसी कृष्णपक्ष रविवार।
गुननिधान श्री गिरिधर प्रगटे लीला द्विज तनु धार॥२॥
प्रभु श्रीलछमन गृह प्रगट भये।
हरि लीला रस सिंधु कला निधि बचन किरन सब ताप गये॥१॥
मायावाद तिमिर जीवन को प्रगटत नास भयो उर अंतर ।
फूले भक्त कुमोदिनी चहुँ दिस सोभित भये भक्ति मन सारस॥२॥
मुदित भये कमल मुख तिनके वृथा वाद आये गनत बल।
गिरिधर अन्य भजन तारागन मंद भये भजि गावत चंचल॥३॥
सुखद माधव मास कृष्ण एकादशी भट्ट लछमन गेह प्रगट बैठे आइ।
ब्रज जुवती गूढ मन इंद्रियाधीस आनंद गृह जानि विधु निगमगति घट पाइ॥१॥
अज्ञ जन ग्रहन सुत भवन तैसो जानि बिमल मति पाइ विधु जात हेरी आइ।
दनुज मायिक मत नम्र कंधर किये लिये ध्वज जानि ध्वज सुक्र है सुखदाई॥२॥
अवनितल मलिनता दूर करिवे काज गेह सुख दैन जामित्र गति सन जाइ।
धर्म पथ भूप गुरु चरन वल्लभ जानि देव गुरु भौम अनुचर भए री आइ॥३॥
प्रखर मायावाद सत्रु संघात कारन सूररिपु सदन को छाइ।
गिरिधरन कर्म अर्पन विधुतुंद दसम गेह गहि रहत अनुकूल कृतिकों पाइ॥४॥
आज जगती पर जयजय जार।
प्रगट भये श्री वल्लभ पुरुषोत्तम बदन अग्नि अवतार॥१॥
धन्य दिन माधव मास एकादसी कृष्ण पच्छ रविवार।
श्री मुख वाक्य कलेवर सुन्दर धर्यो जगमोहन मार॥२॥
श्री भगवत आत्म-अंग जिनके प्रगट करन विस्तार।
दुंदुभी देव बजावत गावत सुर-वधू मंगल चार॥३॥
पुष्टि प्रकास करेंगे भू पर जनहित जग अवतार।
आनंद उमग्यो लोक तिहूंपुर जन ’गिरिधर’ बलिहार॥२॥
हाल ही की टिप्पणियाँ