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झूला तो डाल्या श्री वृन्दावन बाग में जी |
राधा ने झुला डारो ,रेशम डोर को जी
एजी कोई डारो हे जमूना बाग !
लम्बे लम्बे झोटा झूले रानी राधिका जी
एजी कोई श्याम सुनावे मुरली राग !
सखिया झुलावे भैना हिलमिल प्रेम से जी
…एजी कोई गांवे गीत सुहाग !
राधे की चोटी ऐसे देखो उडी रही जी
एजी कोई जैसे होय करो नाग !
सेन कामकी लायो,सो सावन आयो।
चल सखी झूलिये सुरंग हिंडोरे, कीजे श्याम मन भायो॥१॥
हाव भाव के खंभ मनोहर, कचघन गगन सुहायो।
काम नृपति वृषभान नंदिनी, रसिक रायवर पायो॥२॥
झूलत राधामोहन, कालिंदी के कूल।
सघन लता सुहावनी, चहुंदिश फूलें फूल ॥१॥
सखी जुरी चहुँदिश तें, कमल नयन की ओर।
बोलत वचन अमृतमय, नंददास चित्तचोर॥२॥
झूलत गोकुल चंद हिंडोरे, झुलावत सब ब्रजनारी।
संग शोभित व्रषभान नंदिनी, पेहेरे कसूंभी सारी॥१॥
पचरंगी डोरी गुहि लीनी, डांडी सरस संवारी।
आसकरण प्रभु मोहन झूलत गिरि गोवरधन धारी ॥२॥
माई फूल को हिंडोरो बन्यो, फूल रही यमुना ।
फूलन के खंभ दोऊ, डांडी चार फूलन की, फूलन बनी मयार फूल रहे विलना ॥१॥
तामें झूले नंदलाल सखी सब गावें ख्याल, बायें अंग राधा प्यारी फूल भयी मगना ।
फूले पशु पंछी सब, देख ताप कटे सब, फूले सब ग्वाल बाल मिटे दुःख द्वंदना॥२॥
फूले घन घटा घोर कोकिल करता रोर, छबि पर वार डारो कोटिक अनंगना।
फूले सब देव मुनि ब्रह्म करे वेद ध्वनि, नंददास फूले तहाँ, करे बहु रंगना॥३॥
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