मुख देखन हों आई लाल को। काल मुख देख गई दधि बेचन जात ही गयो बिकाई ॥१॥
दिन ते दूनों लाभ भयो घर काजर बछिया जाई। आई हों धाय थंभाय साथ की मोहन देहो जगाई ॥२॥
सुन प्रिय वचन विहस उठि बैठे नागर निकट बुलाई।परमानंद सयानी ग्वालिनी सेन संकेत बताई ॥३॥
हे कृष्ण, मैं आपका दास हूँ
मई 16, 2015 in जगाने के पद, नित्य सेवा, परमानंददास जी, राग रामकली | Tags: जगाने के पद, नित्य सेवा, परमानंददास जी, राग रामकली
मुख देखन हों आई लाल को। काल मुख देख गई दधि बेचन जात ही गयो बिकाई ॥१॥
दिन ते दूनों लाभ भयो घर काजर बछिया जाई। आई हों धाय थंभाय साथ की मोहन देहो जगाई ॥२॥
सुन प्रिय वचन विहस उठि बैठे नागर निकट बुलाई।परमानंद सयानी ग्वालिनी सेन संकेत बताई ॥३॥
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