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फूलन की मंडली मनोहर बैठे मदन मोहन पिय राजत ।
प्रसरित कुसुम सुवासित चहुँदिश लुब्ध मधुप गुंजारत गाजत ॥१॥
पहरे विविध भांत आभूषण पीतांबर वैजयंती छाजत ।
देखि मुखारविंद की शोभा रतिपति आतुर भयो अति भ्राजत ॥२॥
एकरूप बहुरूप परस्पर वरणों कहा देख मन लाजत ।
रसिकचरण सरोज आसरो करिवे कोटि यत्न जिय साजत ॥३॥
फूलन के महल फूलन की शय्या फूले कुंजबिहारी फूली श्री राधाप्यारी ।
फूले दंपति आनंद मगन फूले फूले गावत तानन न्यारी ॥१॥
फुले फुले कमल लिए कर फूले आनंद है सुखकारी ।
हरिनारायण श्यामदास के प्रभु पिय तिन पर वारों फूल चंपक वेलि निवारी ॥२॥
बैठे लाल फूलन की चौखंडी ।
चंपक बकुल गुलाब निवारो रायवेलि श्री खंडी ॥१॥
जाई जुई केवरो कुंजो कनक कणेर सुरंगी ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर जु की बानिक दिन दिन नव नवरंगी ॥२॥
फूलन की मंडली मनोहर बैठे जहाँ रसिक पिय प्यारी ।
फूलन के बागे और भूषण फूलन की पाग संवारी ॥१॥
ढिंग फूली वृषभान नंदिनी तैसिये फूल रही उजियारी ।
फूलन के झूमका झरोखा बहु फूलन की रची अटारी ॥२॥
फूले सखा चकोर निहारत बीच चंद मिल किरण संवारी ।
चतुर्भुज दास मुदित सहचारी फूले लाल गोवर्धन धारी ॥३॥
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