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जसोदे बधाइयाँ बधाइयाँ जसोदे बधाइयाँ।
नंदरानी दे लाल ऊपना सेस सनेह जिवाइयाँ॥१॥
सजल चंदा रवि कीता फूली अंग न माइयाँ।
आज सबे सुखदानियाँ व्रज भीना सभी भलाइयाँ॥२॥
आनन्द भरियाँ सोहनियाँ सब गोपियाँ तो घर आइयाँ।
पुत्र जायो जग जीवना तेडे लागि बडाइयाँ॥३॥
तेडे भागि सुख होंदा सभी गोल घुमाइयाँ।
अमृतसार जौ लाधा ऐसी पुरियाँ केतिक मगाइयाँ॥४॥
अखियाँ ठंडियाँ सोहनियाँ ऐसी साधा सबे पुजाइयाँ।
सुखी होए सुरनर मुनि मानो रंक निधि पाइयाँ ॥५॥
दूध दही सिर पाँवडे नाचे दे ग्वाला खेल मचाइयाँ।
बडभागी नंदजू दानदें मोहो मांगी ठकुराइयाँ॥६॥
’रामराय’ प्रभु प्रगटिया ’भगवान लला’ मन भाइयाँ।
जसोदे बधाइयाँ बधाइयाँ जसोदे बधाइयाँ।
व्रजमंडल आनंद भयो प्रगटे श्री मोहन लाल।
ब्रज सुंदरि चलि भेंट लें हाथन कंचन थार॥१॥
जाय जुरि नंदराय के बंदनवार बंधाय।
कुंकुम के दिये साथीये सो हरि मंगल गाय॥२॥
कान्ह कुंवर देखन चले हरखित होत अपार।
देख देख व्रज सुंदर अपनों तन मन वार॥३॥
जसुमति लेत बुलाय के अंबर दिये पहराय।
आभूषण बहु भांति के दिये सबन मनभाय॥४॥
दे आशीष घर को चली, चिरजियो कुंवर कन्हाई।
सूर श्याम विनती करी, नंदराय मन भाय॥५॥
झूलत राधामोहन, कालिंदी के कूल।
सघन लता सुहावनी, चहुंदिश फूलें फूल ॥१॥
सखी जुरी चहुँदिश तें, कमल नयन की ओर।
बोलत वचन अमृतमय, नंददास चित्तचोर॥२॥
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