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माई फूल को हिंडोरो बन्यो, फूल रही यमुना ।
फूलन के खंभ दोऊ, डांडी चार फूलन की, फूलन बनी मयार फूल रहे विलना ॥१॥
तामें झूले नंदलाल सखी सब गावें ख्याल, बायें अंग राधा प्यारी फूल भयी मगना ।
फूले पशु पंछी सब, देख ताप कटे सब, फूले सब ग्वाल बाल मिटे दुःख द्वंदना॥२॥
फूले घन घटा घोर कोकिल करता रोर, छबि पर वार डारो कोटिक अनंगना।
फूले सब देव मुनि ब्रह्म करे वेद ध्वनि, नंददास फूले तहाँ, करे बहु रंगना॥३॥
माई आज तो गोकुल ग्राम कैसो रह्यो फ़ूल के । गृह फूले एसे जैसे संपति समूल के ॥१॥ माई आज तो…
फूलि फूलि घटा आईं घर घर घूम के । फूली फूली बरखा होत झर लायो झूम के ॥२॥ माई आज तो…
फूल्यो फूल्यो पुत्र देख लियो उर लूमि के । फूली है जसोदा माय ढोटा मुख चूम के ॥३॥ माई आज तो…
देवता आंगिन फूले द्रुत ठाडे होम के । फूल्यो दिसे दधि खाडों ऊपर सो घूमि के ॥४॥ माई आज तो…
मालिन बांधे बंदनमाला घर घर डोल के । पाटंबर पहराय अभिके अमोल के ॥५॥ माई आज तो…
फूले है भंडार सब द्वारे दिये खोल के। नंदराय देत फूलें ‘नंददास’ कौन के ॥६॥ माई आज तो…
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