You are currently browsing the category archive for the ‘माधोदास जी’ category.
देखो देखो नैननि को सुख रथ बैठे हरि आज ।
अग्रज अनुजा सहित स्याम घन सबै मनोरथ साज ॥१॥
हाटक कलसा ध्वजा पताका छत्र चंवर सिर ताज ।
तुरंग चाल अति चपल चलत हैं देखि पवन मन लाज ॥२॥
सुद आषाढ दोज शुभ दिन पुष्य नक्षत्र संयोग ।
बनमाला पीतांबर राजत धूप दीप बहु भोग ॥३॥
गारी देत सबै मन भावत कीरति अगम अपार ।
मधोदास चरननि को सेवक जगन्नाथ श्रुतिसार ॥४॥
श्री लछमन कुल चंद उदित जग उद्योतकारी।
मात इलम्मा विमलराका उडुगन निजजन समाज पोषत पीयूष वचन हरियस उजियारी॥१॥
करुनामय निष्कलंक मायावाद तिमिर हरन सकल कला पूरन मन द्विजवपुधारी।
बलि बलि बलि माधोदास चरन कमल किये निवास भयो चकोर लोचन छबि निरखत गिरिधारी॥२॥
हाल ही की टिप्पणियाँ