लहरें ले रही यमुना मैय़ा श्री वृन्दावन में। श्री वृन्दावन में…श्री वृन्दावन में…||
ब्रज रज की चमक, तेरे जल की धमक , फूल रही फुलवारी तेरे तटवन में॥
लिये हाथन माल मोर पंख सोहे भाल, देख्यो ऐसो ही रूप वल्लभीयन में॥
सूरदास पद गायो महाप्रभु जी बतायो, दास कर राखो मोहे निज चरणनन में॥
टिप्पणी करे
Comments feed for this article