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तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई।

अद्भुत खेल सखन संग खेलो, छोटो सो माटी को ढेलो, तुरत श्याम ने मुख में मेलो, याने गटक गटक गटकाई॥

दूध दही को कबहुँ न नाटी, क्यों लाला तेने खाई माटी,जसोदा समझावे ले सांटी, याने नेक दया नही आई॥

मुख के माँही आंगुली मेली, निकल पडी माटी की ढेली।भीर भई सखियन की भेली, याने देखे लोग लुगाई॥

मोहन को मुखडो खुलवायो, तीन लोक वामे दरसायो । तब विश्वास यसोदाहिं आयो, यो तो पूरण ब्रह्म कन्हाई॥

ऐसो रस नाहि माखन में, मेवा मिसरी नही दाखन में । जो रस ब्रज रज के चाखन में, याने मुक्ति की मुक्ति कराई॥

या रज को सुर नर मुनि तरसे, बडभागी जन नित उठ परसें । जाकी लगन लगी रहे हरि से, यह तो घासीराम कथ गई॥

तन में श्रीजी मन में श्रीजी गाऊँ श्रीजी सुन्दर श्याम

श्रीजी मानूं श्रीजी जानूं श्रीजी राखूं हिये बिच ठाम

श्रीजी सुख कर्त्ता, भव दुःखहर्त्ता, श्रीजी की भुजा एक ऊंची बाम

श्रीजी प्यारे नन्द दुलारे, श्रीजी को है गोपालपुर गाम

श्रीजी स्वामी अंतरयामी, श्रीजी बिना सब झूठो धाम

चालो श्रीजी चरण ब्रज में पधारो, याद करे भैया बलराम

कल्याणराय दर्शन के प्यासे, सदा हिये रहे श्रीजी को नाम

तन में श्रीजी मन में श्रीजी गाऊँ श्रीजी सुन्दर श्याम

जय श्री वल्लभ, जय श्री विट्ठल, जय यमुना श्रीनाथ जी।

कलियुग का तो जीव उद्धार्या , मस्तक धरिया हाथ जी॥

मोर मुकुट और काने कुण्डल, उर वैजयन्ती माला जी,

नासिका गज मोती सोहे, ए छबि जोवा जइये जी॥

आसपास तो गऊ बिराजे, गवाल मण्डली साथे जी।

मुख थी व्हालो वेणु बजावे, ए छबि जोवा जइये जी॥

वल्लभ दुर्लभ जग में गाये, तो भवसागर तर जायें जी।

माधवदास तो इतना मांगें, जन्म गोकुल में पाएं जी॥

जय श्री गिरिधर, जय श्री गोविन्द, जय श्री बालकृष्ण जी।

जय श्री गोकुलपते, जय श्री रघुपति, जय श्री यदुपति, जय श्री घनश्याम जी॥

श्री गोकुलवारे नाथ जी, मेरी डोर तुम्हारे नाथ जी।

जय यमुना श्री गोवर्धन नाथ, महाप्रभु श्री विट्ठलनाथ॥

जय जय श्री गोकुलेश, शेष ना रहे क्लेश।

श्री वल्लभ जुग जुग राज करो श्री विट्ठल जुग जुग राज करो।

श्री वल्लभ विट्ठल गोपीनाथ, देवकी नन्दन श्री रघुनाथ।

श्री यशोदानन्दन नन्दकिशोर, श्री मुरलीधर माखनचोर।

सूरदास कृष्णदास जी, परमानन्ददास कुंभन दास जी।

चतुर्भुज नन्ददास जी, छीतस्वामी शी गोविन्द जी।

श्री वल्लभ देव की जय, प्राणप्यारे की जय।

श्री गोवर्धन नाथ की जय, चौरासी वैष्णव की जय।

दो सौ बावन भगवदीयन की जय, अष्टसखान की जय।

समस्त वल्लभकुल की जय, समस्त वैष्णवन की जय।

श्रीजी बाबा दीन दयाला भक्त तुम्हारा जानना
प्रभु गुण गाता दोष पडे तो भूल हमारी मानना॥

मैं अज्ञानी कुछ नही जानूं, शरण चरण की दे देना,

विमल भाव से ध्यान धरू मैं कुटिल भाव को हर लेना॥

भव बंधन को काट सकूं मैं, भाव भक्ति में डूब सकूं,

प्रेम पंथ में चल सकूं मैं, जीवन सफल बना सकूं॥

दास ऊपर दया जताकर , टेक जरा सी लगा देना,

अन्त समय में नाथ दयाकर, नैंनो की प्यास बुझा देना॥

जीवन का सच्चा सुख है बस श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

मेरा तन मन धन सब अर्पण है, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

ये राग द्वेष आशा तृष्णा, सब मन से प्रभु मेरे हट जावें।

मेरे जीवन की ये डोर प्रभु श्री नाथ तुम्हारे चरणों में।

सेवा पूजा का ज्ञान नही, भक्ति की मुझे पहचान नही,

मेरे जीवन के हैं धाम सभी, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

मेरा रोम रोम श्री कृष्ण कहे, मेरी श्वास श्वास हरे कृष्ण कहे,

मुझे अपने धाम बुला लेना, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

सेवक हूं तुम्हारे चरणों का, मेरा सब कुछ तुम्हे समर्पण है,

मेरा ध्यान हमेशा लगा रहे, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

मैं दर्शन करने आऊँ प्रभु, बस एक झलक दिखला देना,

मेरी विनती बारंबार प्रभु, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

तुम्ही मेरे मात पिता हो प्रभु, तुम्ही मेरे बंधु सखा स्वामी,

मैं सौंप रहा हूं यह जीवन, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

घर में तुमसी ठाकुर सेवा, सब आपकी ही बलिहारी है,

है वैष्णव मंडल सदा शरण, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

जीवन का सच्चा सुख है बस, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।

जय श्रीनाथ हरे, प्रभु जय श्रीनाथ हरे,

कोमल कर में बिराजत, श्री गिरिराज धरे, प्रभु…

देव दमन प्रभु नाग दमन प्रभु दूषन सब हरता

नंद कुमार अलौकिक लीला के कर्ता।

सटक पूतना वृषवासुर, धेनुक तुम तारी

इन्द्र दमन कर श्रीपति ब्रज की रखवारी

दावानल कर पान योगेश्वर विपदा सब टाली

मोर पंख सिर गुंजामाल गल, वन वन गऊचारी

भक्तवत्सल्य करुणामय, तुम सबके स्वामी

रक्षाकरो दया मय सत्य पतित नामी।

श्रीजी सब देवन में बडे हैं, हम तो श्रीजी की शरण पडे हैं।

श्रीजी हमारे हम श्रीजी के, श्रीजी चित्त धरे हैं, हम तो श्रीजी की शरण

नाम रटो श्री गोवर्धन धर को तो, पापी के पाप झडे हैं, हम तो..

मोर मुकुट पीतांबर सोहे, मुरली अधर धरे हैं, हम तो

नित नये बागा, नित नये बिस्तर, नित नये भोग धरे हैं, हम तो ..

जमुना जल और पान की बीडी तो झारी में रतन जडे हैं, हम तो …

भक्ति के वश में, प्रेम के रस में तो श्री जी आन पडे हैं, हम तो ….

भक्तों को दर्शन दे क्षण क्षण में, तो हिचकी में हीरा जडे हैं, हम तो …

कृष्णदास प्रभु की छबि निरखत, चरणों में चित्त धरे हैं, हम तो ..

झूला तो डाल्या श्री वृन्दावन बाग में जी |

राधा ने झुला डारो ,रेशम डोर को जी

एजी कोई डारो हे जमूना बाग !

लम्बे लम्बे झोटा झूले रानी राधिका जी

एजी कोई श्याम सुनावे मुरली राग !

सखिया झुलावे भैना हिलमिल प्रेम से जी

…एजी कोई गांवे गीत सुहाग !

राधे की चोटी ऐसे देखो उडी रही जी

एजी कोई जैसे होय करो नाग !

सब आरती उतारो मेरे लालन की । लालन की मेरे लालन की ….सब…
माता यशोदा करत आरती, गिरिधर लाल गोपालन की।  सब आरती उतारो
कंस निकंदन जय जगवंदन,कृष्ण कृपालु दयालन की।  सब आरती उतारो
व्रजजन् मिलि सब मंगल गावत, छबि निरखत नंदलालन की ।  सब आरती उतारो
मोर मुकुट पीताम्बर कुन्डल, मुख पर लाली गुलाबन की।  सब आरती उतारो
मोतन माल की छटा अति सुंदर, ऊपर तुलसी मासब आरती उतारो मेरे लालन की । लालन की मेरे लालन की ….सब…
माता यशोदा करत आरती, गिरिधर लाल गोपालन की।  सब आरती उतारो
कंस निकंदन जय जगवंदन,कृष्ण कृपालु दयालन की।  सब आरती उतारो
व्रजजन् मिलि सब मंगल गावत, छबि निरखत नंदलालन की ।  सब आरती उतारो
मोर मुकुट पीताम्बर कुन्डल, मुख पर लाली गुलाबन की।  सब आरती उतारो
मोतन माल की छटा अति सुंदर, ऊपर तुलसी मालन की।  सब आरती उतारो…
कृष्णदास बलिहारि छबि पे, कृष्ण  कन्हैया लालन की।  सब आरती उतारोलन की।  सब आरती उतारो…
कृष्णदास बलिहारि छबि पे, कृष्ण  कन्हैया लालन की।  सब आरती उतारो

जय जय श्री  यमुना, माँ धन्य धन्य श्री यमुना ।

जोता जनम सुधार्या , जोता जनम सुधार्या , धन्य धन्य श्री यमुना , माँ जय जय श्री यमुना ॥

शामलाडी सूरत माँ मूरत माधुरी, माँ मूरत माधुरी । प्रेम सहित पटरानी, पराक्रमे पूरया,  माँ जय जय श्री यमुना ॥

गह्वर चाल्या माँ,   गंभीरे घेरया ,  माँ गम्भीरे घेरया । चूंदडिये चटकाव्या पहरया ने लहरया माँ जय जय श्री यमुना ॥

भुज कंकण रूडा माँ गुजरिया  चूड़ी, माँ गुजरिया  चूड़ी ।  बाजूबंद ने वेरखा, पहोंची  रत्न जड़ी माँ जय जय श्री यमुना ॥

झांझर ने झमके माँ बिछिया ने ठमके, माँ बिछिया ने ठमके ।  नूपुर ने नादे माँ घूघरी ने घमके माँ जय जय श्री यमुना  ॥

सोला श्रृंगार सज्या माँ नकबेसर मोती , माँ नकबेसर मोती । आभरण मा आपो छो , दर्पण मुख जोता माँ जय जय श्री यमुना ॥

तट अंतर रूडा माँ शोभित जल भरिया, माँ शोभित जल भरिया ।    मनवांछित मुरलीधर, सुन्दर वर वरिया माँ जय जय श्री यमुना  ॥

लाल कमल लपटया माँ जोवाने गया था, माँ जोवाने गया था ।  कहे माधव परिक्रम्मा , ब्रज नी करवा ने गया था माँ जय जय श्री यमुना ॥

श्री यमुना जी नी आरती विश्राम घाटे थाय माँ विश्राम घाटे थाय । तैंतीस करोड देवता दर्शन करवा जाय माँ जय जय श्री यमुना ॥

श्री यमुना नी आरती जो कोई गाशे माँ जो कोई गाशे । तेना जनम मरण  संकट सर्वे दूर थाशे माँ जय जय श्री यमुना ॥

एटली विनती करूँ माँ तव चरणे राखो , माँ तव चरणे राखो । दास क़रीने स्थापो ब्रज मा वास आपो माँ जय जय श्री यमुना ॥

जय जय श्री  यमुना, माँ धन्य धन्य श्री यमुना । जोता जनम सुधार्या , जोता जनम सुधार्या , धन्य धन्य श्री यमुना

माँ जय जय श्री यमुना

गिरिराज दया करके हमको दरशन देना, हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥

हम दूध चढा कर के तुम को नहलाते हैं , कुमकुम का तिलक करके, और वस्त्र धराते हैं

श्रीजी बर्फी जलेबी की सामग्री ग्रहण करना। हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥

तेरी परिक्रमा करके हम दन्डवत करते हैं। ब्रज रज के कण कण को हम शीश लगाते हैं

हम भक्ति पा जायें, श्रीजी ऐसा वर देना । हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥

श्रृंगार के दरशन की, प्रभु शोभा न्यारी है,  तेरेदरशन करने को आते नर नारी हैं
हम छप्पन भोग करें, श्रीजी ऐसी कृपा करना। हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥

जब कष्ट पडें हमपे, श्री जी तुमको याद करें।  तेरे दर्शन करने से, दुख दर्द ओ कष्ट हरें।
श्रीजी जब भी ध्यान धरें, दर्शन को बुला लेना॥ हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥

मनडो म्हारो लाग्यो गुरु चरणनन में। अब नही लागत औरन में।

लख चौरासी भटकत आयो, गुरु की कृपा बिन अति दुख पायो,

फिर फिर हार्यो चौरासिन में।  मनडो म्हारो लाग्यो गुरु चरणनन में।

प्रकट स्वरूप परम प्रभु आया, जनहित कारण आप पधार्या

भव बन्धन से छुडावन में । मनडो म्हारो लाग्यो गुरु चरणनन में।

धन्य म्हारा भाग्य पुष्टिमार्ग बताया, जन्म जनम का फन्द छुडाया,

लगन लगी हरि चरननन में । मनडो म्हारो लाग्यो गुरु चरणनन में।

गुरु महिमा का कोई पार न पावे, सकल वेद अरु शास्त्र बतावे

गुरु बिन श्याम मिले ना जग में। मनडो म्हारो लाग्यो गुरु चरणनन में।

लहरें ले रही यमुना मैय़ा श्री वृन्दावन में। श्री वृन्दावन में…श्री वृन्दावन में…||

ब्रज रज की चमक, तेरे जल की धमक ,  फूल रही फुलवारी तेरे तटवन में॥

लिये हाथन माल मोर पंख सोहे भाल, देख्यो ऐसो ही रूप वल्लभीयन में॥

सूरदास पद गायो महाप्रभु जी बतायो, दास कर राखो मोहे निज चरणनन में॥

नैन मिलाकर मोहन सौ,वृषभानु लली मन में मुस्कान।
भौंह मरोर के दूसरी और,कछु वह घूंघट में शरमाई।
देखि निहाल भई सजनी,व सूरतिया मम माँहि समानी।
औरन की परवाह नही,अपनी ठकुराइन राधिका रानी॥
नवनीत गुलाब तैं कोमल हैं,हठी कुंज की मंजुलताइन में।
गुललाला गुलाल प्रबाल जपा छबि ऐसी न देखी ललाइन में॥
मुनि मानस मन्दिर मध्य बसैं बस होत हैं सूधे सुभाइन में।
बहु रे मन,तू चित चाइन सौं,वृषभानु कुमारि के पाइन में॥

नैन मिलाकर मोहन सौ,वृषभानु लली मन में मुस्कान।

भौंह मरोर के दूसरी और,कछु वह घूंघट में शरमाई।

देखि निहाल भई सजनी,व सूरतिया मम माँहि समानी।

औरन की परवाह नही,अपनी ठकुराइन राधिका रानी॥

नवनीत गुलाब तैं कोमल हैं,हठी कुंज की मंजुलताइन में।

गुललाला गुलाल प्रबाल जपा छबि ऐसी न देखी ललाइन में॥

मुनि मानस मन्दिर मध्य बसैं बस होत हैं सूधे सुभाइन में।

बहु रे मन,तू चित चाइन सौं,वृषभानु कुमारि के पाइन में॥

मेरी छैल छबीली राधे,मेरे छैल छबीले श्याम।
मेरी रसिक रंगीली राधे,मेरे रसिक रंगीले श्याम।
मेरी गुन गर्वीली राधे,मेरे गुन गर्वीले श्याम।
मेरी भोरी भारी राधे,मेरे चंचल श्याम।
मेरी प्यारी सदा किशोरी,मेरो प्रियतम सदा किशोर।
मेरी प्यारी पिय चितचोरी,मेरो पिय प्यारी चितचोर।
मेरी प्यारी रतिरस बोरी,मेरो पिय रसिकन सिरमोर।
मेरी प्यारी भोरी भारी,मेरो पिय नटखट बरजोर।

मेरी छैल छबीली राधे,मेरे छैल छबीले श्याम।

मेरी रसिक रंगीली राधे,मेरे रसिक रंगीले श्याम।

मेरी गुन गर्वीली राधे,मेरे गुन गर्वीले श्याम।

मेरी भोरी भारी राधे,मेरे चंचल श्याम।

मेरी प्यारी सदा किशोरी,मेरो प्रियतम सदा किशोर।

मेरी प्यारी पिय चितचोरी,मेरो पिय प्यारी चितचोर।

मेरी प्यारी रतिरस बोरी,मेरो पिय रसिकन सिरमोर।

मेरी प्यारी भोरी भारी,मेरो पिय नटखट बरजोर।

परिकम्मा को या विधि दीजै ।
रुक रुक ध्यान करो गिरिवर को,वार वार सिर दीजै ।
सुमरत नाम मगन मन चलिये,परमारथ भी कीजै ।
वाद विवाद त्याग मारग में,मौन प्रार्थना कीजै ।
बटै प्रसाद जो भर भर दोना,बस प्रणाम करि दीजै ।
भूख प्यास के कष्ट होय जो,बडे प्रेम सह लीजै ।
साधु संत की सेवा करके,जनम सफल कर लीजै ।

परिकम्मा को या विधि दीजै ।

रुक रुक ध्यान करो गिरिवर को,वार वार सिर दीजै ।

सुमरत नाम मगन मन चलिये,परमारथ भी कीजै ।

वाद विवाद त्याग मारग में,मौन प्रार्थना कीजै ।

बटै प्रसाद जो भर भर दोना,बस प्रणाम करि दीजै ।

भूख प्यास के कष्ट होय जो,बडे प्रेम सह लीजै ।

साधु संत की सेवा करके,जनम सफल कर लीजै ।

तुम मेरे थे मेरे हो मेरे ही रहोगे, बहकूँ न अब बहकाने से।
जब समझ प्रेम में डूब गई, तब क्या होगा समझाने से॥
दे दी ऐसी विरह वेदना, मिटि जाये मम अहं चेतना।
और अधिक चमकेगा सोना, पुनि पुनि अग्नि तपाने से॥
चाहे मम आलिंगन कर लो, चाहे मम प्रानन ही हर लो।
चाहे जी भर कर तडपा लो, मोहि काम श्याम गुण गाने से॥
तुम हार मान लो बनवारी, बदनाम न हो जाये दासी।
हारोगे हारे हो सब दिन, पछतावोगे इतराने से॥
तू ही तो सब कुछ मेरा है, यह कहा हुआ भी तेरा है।
जग में भी बढता प्यार सदा, पिय के घर आने जाने से॥
लख चौरासी स्वाँग बनाये, नट ज्यों बहुविधि खेल दिखाये।
अब तो अपने पास बुला लो, रीझोगे न रिझाने से।
चुप का मतलब अब समझ लिया, अखिर पिय ने अपना ही लिया।
आशा तो पहले से ही थी, बिनु हेतु कृपालु कहाने से॥

तुम मेरे थे मेरे हो मेरे ही रहोगे, बहकूँ न अब बहकाने से।

जब समझ प्रेम में डूब गई, तब क्या होगा समझाने से॥

दे दी ऐसी विरह वेदना, मिटि जाये मम अहं चेतना।

और अधिक चमकेगा सोना, पुनि पुनि अग्नि तपाने से॥

चाहे मम आलिंगन कर लो, चाहे मम प्रानन ही हर लो।

चाहे जी भर कर तडपा लो, मोहि काम श्याम गुण गाने से॥

तुम हार मान लो बनवारी, बदनाम न हो जाये दासी।

हारोगे हारे हो सब दिन, पछतावोगे इतराने से॥

तू ही तो सब कुछ मेरा है, यह कहा हुआ भी तेरा है।

जग में भी बढता प्यार सदा, पिय के घर आने जाने से॥

लख चौरासी स्वाँग बनाये, नट ज्यों बहुविधि खेल दिखाये।

अब तो अपने पास बुला लो, रीझोगे न रिझाने से।

चुप का मतलब अब समझ लिया, अखिर पिय ने अपना ही लिया।

आशा तो पहले से ही थी, बिनु हेतु कृपालु कहाने से॥

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