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तन में श्रीजी मन में श्रीजी गाऊँ श्रीजी सुन्दर श्याम
श्रीजी मानूं श्रीजी जानूं श्रीजी राखूं हिये बिच ठाम
श्रीजी सुख कर्त्ता, भव दुःखहर्त्ता, श्रीजी की भुजा एक ऊंची बाम
श्रीजी प्यारे नन्द दुलारे, श्रीजी को है गोपालपुर गाम
श्रीजी स्वामी अंतरयामी, श्रीजी बिना सब झूठो धाम
चालो श्रीजी चरण ब्रज में पधारो, याद करे भैया बलराम
कल्याणराय दर्शन के प्यासे, सदा हिये रहे श्रीजी को नाम
तन में श्रीजी मन में श्रीजी गाऊँ श्रीजी सुन्दर श्याम
जय श्री वल्लभ, जय श्री विट्ठल, जय यमुना श्रीनाथ जी।
कलियुग का तो जीव उद्धार्या , मस्तक धरिया हाथ जी॥
मोर मुकुट और काने कुण्डल, उर वैजयन्ती माला जी,
नासिका गज मोती सोहे, ए छबि जोवा जइये जी॥
आसपास तो गऊ बिराजे, गवाल मण्डली साथे जी।
मुख थी व्हालो वेणु बजावे, ए छबि जोवा जइये जी॥
वल्लभ दुर्लभ जग में गाये, तो भवसागर तर जायें जी।
माधवदास तो इतना मांगें, जन्म गोकुल में पाएं जी॥
जय श्री गिरिधर, जय श्री गोविन्द, जय श्री बालकृष्ण जी।
जय श्री गोकुलपते, जय श्री रघुपति, जय श्री यदुपति, जय श्री घनश्याम जी॥
श्री गोकुलवारे नाथ जी, मेरी डोर तुम्हारे नाथ जी।
जय यमुना श्री गोवर्धन नाथ, महाप्रभु श्री विट्ठलनाथ॥
जय जय श्री गोकुलेश, शेष ना रहे क्लेश।
श्री वल्लभ जुग जुग राज करो श्री विट्ठल जुग जुग राज करो।
श्री वल्लभ विट्ठल गोपीनाथ, देवकी नन्दन श्री रघुनाथ।
श्री यशोदानन्दन नन्दकिशोर, श्री मुरलीधर माखनचोर।
सूरदास कृष्णदास जी, परमानन्ददास कुंभन दास जी।
चतुर्भुज नन्ददास जी, छीतस्वामी शी गोविन्द जी।
श्री वल्लभ देव की जय, प्राणप्यारे की जय।
श्री गोवर्धन नाथ की जय, चौरासी वैष्णव की जय।
दो सौ बावन भगवदीयन की जय, अष्टसखान की जय।
समस्त वल्लभकुल की जय, समस्त वैष्णवन की जय।
श्रीजी बाबा दीन दयाला भक्त तुम्हारा जानना
प्रभु गुण गाता दोष पडे तो भूल हमारी मानना॥
मैं अज्ञानी कुछ नही जानूं, शरण चरण की दे देना,
विमल भाव से ध्यान धरू मैं कुटिल भाव को हर लेना॥
भव बंधन को काट सकूं मैं, भाव भक्ति में डूब सकूं,
प्रेम पंथ में चल सकूं मैं, जीवन सफल बना सकूं॥
दास ऊपर दया जताकर , टेक जरा सी लगा देना,
अन्त समय में नाथ दयाकर, नैंनो की प्यास बुझा देना॥
जीवन का सच्चा सुख है बस श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
मेरा तन मन धन सब अर्पण है, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
ये राग द्वेष आशा तृष्णा, सब मन से प्रभु मेरे हट जावें।
मेरे जीवन की ये डोर प्रभु श्री नाथ तुम्हारे चरणों में।
सेवा पूजा का ज्ञान नही, भक्ति की मुझे पहचान नही,
मेरे जीवन के हैं धाम सभी, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
मेरा रोम रोम श्री कृष्ण कहे, मेरी श्वास श्वास हरे कृष्ण कहे,
मुझे अपने धाम बुला लेना, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
सेवक हूं तुम्हारे चरणों का, मेरा सब कुछ तुम्हे समर्पण है,
मेरा ध्यान हमेशा लगा रहे, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
मैं दर्शन करने आऊँ प्रभु, बस एक झलक दिखला देना,
मेरी विनती बारंबार प्रभु, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
तुम्ही मेरे मात पिता हो प्रभु, तुम्ही मेरे बंधु सखा स्वामी,
मैं सौंप रहा हूं यह जीवन, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
घर में तुमसी ठाकुर सेवा, सब आपकी ही बलिहारी है,
है वैष्णव मंडल सदा शरण, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
जीवन का सच्चा सुख है बस, श्रीनाथ तुम्हारे चरणों में।
जय श्रीनाथ हरे, प्रभु जय श्रीनाथ हरे,
कोमल कर में बिराजत, श्री गिरिराज धरे, प्रभु…
देव दमन प्रभु नाग दमन प्रभु दूषन सब हरता
नंद कुमार अलौकिक लीला के कर्ता।
सटक पूतना वृषवासुर, धेनुक तुम तारी
इन्द्र दमन कर श्रीपति ब्रज की रखवारी
दावानल कर पान योगेश्वर विपदा सब टाली
मोर पंख सिर गुंजामाल गल, वन वन गऊचारी
भक्तवत्सल्य करुणामय, तुम सबके स्वामी
रक्षाकरो दया मय सत्य पतित नामी।
श्रीजी सब देवन में बडे हैं, हम तो श्रीजी की शरण पडे हैं।
श्रीजी हमारे हम श्रीजी के, श्रीजी चित्त धरे हैं, हम तो श्रीजी की शरण
नाम रटो श्री गोवर्धन धर को तो, पापी के पाप झडे हैं, हम तो..
मोर मुकुट पीतांबर सोहे, मुरली अधर धरे हैं, हम तो
नित नये बागा, नित नये बिस्तर, नित नये भोग धरे हैं, हम तो ..
जमुना जल और पान की बीडी तो झारी में रतन जडे हैं, हम तो …
भक्ति के वश में, प्रेम के रस में तो श्री जी आन पडे हैं, हम तो ….
भक्तों को दर्शन दे क्षण क्षण में, तो हिचकी में हीरा जडे हैं, हम तो …
कृष्णदास प्रभु की छबि निरखत, चरणों में चित्त धरे हैं, हम तो ..
गिरिराज दया करके हमको दरशन देना, हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥
हम दूध चढा कर के तुम को नहलाते हैं , कुमकुम का तिलक करके, और वस्त्र धराते हैं
श्रीजी बर्फी जलेबी की सामग्री ग्रहण करना। हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥
तेरी परिक्रमा करके हम दन्डवत करते हैं। ब्रज रज के कण कण को हम शीश लगाते हैं
हम भक्ति पा जायें, श्रीजी ऐसा वर देना । हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥
श्रृंगार के दरशन की, प्रभु शोभा न्यारी है, तेरेदरशन करने को आते नर नारी हैं
हम छप्पन भोग करें, श्रीजी ऐसी कृपा करना। हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥
जब कष्ट पडें हमपे, श्री जी तुमको याद करें। तेरे दर्शन करने से, दुख दर्द ओ कष्ट हरें।
श्रीजी जब भी ध्यान धरें, दर्शन को बुला लेना॥ हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥
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