प्रथम गोचारण चले कन्हाई।
माथे मुकुट पीतांबर की छबी वनमाला पहराइ ॥१॥
कुंडल श्रवण कपोल बिराजत, सुंदरता बनि आइ ।
घर घरतें सब छाक लेत हे संग सखा सुखदाइ ॥२॥
आगें धेनु हांक लीनी पाछे मुरली बजाइ।
परमानंद प्रभु मनमोहन ब्रज बासिन सुरत कराइ॥३॥
हे कृष्ण, मैं आपका दास हूँ
नवम्बर 20, 2007 in गोपष्टमी की बधाई, परमानंददास जी
प्रथम गोचारण चले कन्हाई।
माथे मुकुट पीतांबर की छबी वनमाला पहराइ ॥१॥
कुंडल श्रवण कपोल बिराजत, सुंदरता बनि आइ ।
घर घरतें सब छाक लेत हे संग सखा सुखदाइ ॥२॥
आगें धेनु हांक लीनी पाछे मुरली बजाइ।
परमानंद प्रभु मनमोहन ब्रज बासिन सुरत कराइ॥३॥
वर्डप्रेस (WordPress.com) पर एक स्वतंत्र वेबसाइट या ब्लॉग बनाएँ .Ben Eastaugh and Chris Sternal-Johnson.
टिप्पणी करे
Comments feed for this article