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श्री पंचमी परम मंगल दिन मदन महोत्सव आज ।
वसंत बनाय चली ब्रज सुंदरी ले पूजा को साज ॥१॥
कनक कलश जल पूरि पढति रति काम मंत्र रस मूल ।
तापे धरी रसाल मंजुरी ढांपि पीत दुकूल ॥२॥
चोवा चंदन अगर कुंकुमा नव केसरि घनसार ।
नाना धूप दीप नरांजन विविध भांति उपहार ॥३॥
वाजति ताल मृदंग मुरलिका बीना पटह उपंग ।
सरस वसंत मधुर सुर गावति उपजत तान तरंग ॥४॥
छिरकत अति अनुराग मुदित गोपीजन मदन गुपाल ।
मानो सुभग कनक कदली मंडल मधिराजति तरुन तमाल ॥५॥
यह विधि चलि ऋतुराज वधावन सकल घोष आनंद ।
हरिजीवन प्रभु गोवर्धनधर जय जय गोकुलचंद ॥६॥
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